अयोध्या
राममंदिर निर्माण के लिए नींव खोदाई का काम जनवरी माह में ही शुरू हो जाने की पूरी संभावना है। राममंदिर निर्माण में वैदिक वास्तुशास्त्र का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा।

इसके तहत वास्तुकला के विशेषज्ञ यह मंथन करने में जुटे हैं कैसे रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें रामलला के मुखारविंद को चमका सकती हैं। दूसरी ओर रामजन्मभूमि परिसर में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए थ्री डी व्यवस्था पर भी विचार चल रहा है।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि एक विचार चल रहा है कि क्या रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें भगवान के मुखारविंद को चमका सकती हैं। इसके लिए वास्तुकला के विशेषज्ञों के साथ मंथन चल रहा है। राममंदिर वैदिक वास्तुशास्त्र के तहत बनाया जाएगा। इसके लिए देश के चुनिंदा वैदिक वास्तुशास्त्र विशेषज्ञों की एक समिति भी बनाई गई है, जो अपना काम कर रही है।

चंपत राय ने कहा कि सामान्यतय: मदिरों के गर्भगृह में मनुष्य नहीं जाता। गर्भगृह के बाहर दूर से ही दर्शन होता है। इसलिए विचार चल रहा है कि क्या कोई थ्रीडी व्यवस्था हो सकती है कि श्रद्धालु-भक्त को यह अहसास हो कि उसने गर्भगृह में मस्तक नवाया है। इस मंदिर के साथ यह विशेष बात रहेगी।

श्रद्धालुओं के लिए थ्री डी तकनीक से इस तरह व्यवस्था की जाएगी कि परिसर में कुछ खास जगहों पर वर्चुअल तरीके से माथा टेकने पर श्रद्धालुओं को सीधे गर्भगृह में मौजूद होने का एहसास होगा। श्रद्धालुओं को वर्चुअल तरीके से अपने आराध्य को मनभर के निहार सकेंगे।

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